हर्षद मेहता घोटाला 1992 | हर्षद मेहता बायोग्राफी | हर्षद मेहता कौन था? | हर्षद मेहता क्यों प्रसिद्ध है? | हर्षद मेहता की मृत्यु कैसे हुई? | हर्षद मेहता स्टोरी | हर्षद मेहता विकिपीडिया | हर्षद मेहता इन हिंदी | हर्षद मेहता वेबसीरीज
Hello & Welcome Guys, मेरा नाम है राहुल और आज हम बात करने वाले हैं एक ऐसे इंसान के बारे में, जिसने भारतीय इतिहास के सबसे बड़े घोटाले को अंजाम दिया। शायद ही किसी ने सोचा रहा होगा कि एक छोटे से परिवार से आने वाला यह लड़का एक दिन शेयर बाजार का बादशाह बन जाएगा। जी हां, हम बात कर रहे हैं हर्षद मेहता की जिसने दलाल स्ट्रीट स्थित मुंबई स्टॉक एक्सचेंज को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया। लोग उसे भगवान मानने लगे थे वहीं कुछ लोगों का तो यहां तक कहना था कि हर्षद को देश का वित्त मंत्री बना देना चाहिए। पर एक दिन ऐसा आया जब हर्षद की सच्चाई सबके सामने आ गई, और बंबई स्टॉक एक्सचेंज क्रैश हो गया। हर्षद का बनाया हुआ यह साम्राज्य पानी की तरह बिखर गया और उसे जेल हो गई। आइए जानते हैं हर्षद मेहता की रोमांचक जिंदगी से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी -
हर्षद मेहता का परिचय (Harshad Mehta Introduction)
पूरा नाम - हर्षद शांतिलाल मेहता
अन्य नाम - द बिग बुल, BSE का बच्चन
प्रसिद्धि - शेयर बाजार में चार हजार करोड़ का घोटाला
जन्म - 29 जुलाई 1957, घाटकोपर, मुंबई
व्यवसाय - बिजनेसमैन, स्टॉकब्रोकर
नेटवर्थ - 3542 करोड़ रुपए लगभग
मृत्यु - 31 दिसंबर 2001, थाने (47 yrs)
हर्षद मेहता फैमिली (Family Details)
एक सामान्य गुजराती परिवार में पैदा हुए हर्षद मेहता के पिता का नाम शांतिलाल मेहता और उनकी माता का नाम रसीलाबेन मेहता था। हर्षद के पिता मुंबई की कांदिवली में कपड़ो का बिजनेस करते थे। हर्षद के तीन भाई अश्विन मेहता, सुधीर मेहता और हितेश मेहता थे। हर्षद की पत्नी का नाम ज्योति मेहता और उनके बेटे का नाम आतुर मेहता है।
हर्षद की शुरुआती शिक्षा घाटकोपर, सांताक्रूज और मुंबई के रोज मैनर गार्डन स्कूल में हुई। वर्ष 1964 में पिता के स्वास्थ्य कारणों के कारण उनका परिवार रायपुर छत्तीसगढ़ चला गया। उनके पिता को अपने कपड़ों के बिजनेस में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, उन्होंने अपनी सारी संपत्ति भी खो दी, यहां तक की माता रसीलाबेन को अपने गहने गिरवी भी रखने पड़े।
1973 में हर्षद अपने चाचा के पास मुंबई चला गया। यहां उसने लाला लाजपतराय कॉलेज ऑफ कॉमर्स में प्रवेश लिया, हर्षद को क्रिकेट का बहुत जुनून था और वह एक क्रिकेटर करना चाहता था। इसके बाद परिवार की खराब आर्थिक स्थिति के कारण उसने कई काम जैसे सीमेंट का व्यापार, हीरे का व्यापार, और एक रिश्तेदार के यहां होजरी स्टोर में काम करने जैसी कई छोटी-मोटी नौकरियों में हाथ आजमाया, लेकिन ज्यादा सफलता नहीं मिली। इसी बीच हर्षद को अपने पड़ोस की लड़की ज्योति दोषी से प्यार हो गया। 17 मई 1977 को हर्षद और ज्योति ने परिवार की सहमति से शादी कर ली।
स्टॉक मार्केट BSE का सफर
हर्षद अभी न्यू इंडिया एश्योरेंस में नौकरी कर रहा था तभी धीरे-धीरे उसका ध्यान स्टॉक मार्केट की ओर जाने लगा, उसके सपने बहुत बड़े थे। उसने अपनी नौकरी छोड़कर BSE के एक बुजुर्ग दलाल श्री पं.अंबालाल के यहां Stock Jober (जो दलाल और उनके निवेशको के बीच शेयर्स का लेनदेन करता हो) की नौकरी शुरू कर दी, उसे BSE के प्रतिबंधित क्लब और ट्रेंडिंग हॉल में जानें की अनुमति मिल गई। यहां हर्षद मेहता को काफी सफलता प्रदान हुई, कहा जाता है कि हर्षद इंसाइडर ट्रेडिंग की भी सहायता लेता था। और वह धीरे-धीरे BSE का नंबर वन Jober बन गया।
Harshad Mehta
1979 तक हर्षद को लगने लगा था कि अब उसे कोई नहीं रोक सकता। उसने दलाल के यहां Jober की नौकरी करना छोड़ दिया और खुद स्टॉक मार्केट में पैसा लगाने लगा। लेकिन 17 मार्च 1982 में मार्केट में अचानक गिरावट आ गई और हर्षद का सारा पैसा डूब गया। जिस ब्रोकर के पास हर्षद में अपना ट्रेडिंग अकाउंट खुलवाया था उसमें हर्षद के ट्रेडिंग अकाउंट को सस्पेंड कर दिया। बात यहां तक आ गई की उन्होंने घर के कागजात और गहने गिरवी रखने की पेशकश की पर ब्रोकर दयालु था उसने हर्षद को कुछ समय दिया। इसी बीच सदमे के कारण हर्षद के पिता की मौत हो गई। हर्षद ने ब्रोकर का सारा बकाया धीरे धीरे चुका दिया और उसका ट्रेडिंग अकाउंट फिर से चालू हो गया।
ब्रोकरेज फर्म की स्थापना
अब हर्षद के पास मार्केट में लगाने के लिए पैसा तो था नहीं इसलिए वह सिर्फ लोगों को टिप्स दे सकता था। अगस्त 1982 में हर्षद ने अपने छोटे भाई अश्विन मेहता के साथ मिलकर ग्रोमोर इन्वेस्टमेंट्स नाम की एक कंसल्टेंसी और ब्रोकरेज फर्म खोली। यहां पर यह लोग कुछ छोटे निवेशको को शेयर बाजार में पैसे लगाने की सलाह देते थे तथा दलाली के तौर पर ब्रोकरेज लिया करते थे। 1985 में जब इंदिरा गांधी की हत्या हुई तो राजीव गांधी को देश का प्रधानमंत्री बनाया गया जिसके कारण स्टॉक मार्केट में काफी उछाल आया और हर्षद को काफी फायदा हुआ। अब उसका फर्म जाने-माने ब्रोकरेज फर्मों में गिना जाने लगा था। हर्षद को फायदा मुख्य रूप से तेजी में होता था और वह मार्केट का तेजड़िया (Bull) कहलाने लगा था।
हर्षद की सफलता BSE के मंदोड़िया (Bear) मनुभाई पचा नहीं पाए वह मार्केट को हमेशा गिराने की कोशिश करते थे। इसी बीच 1986 में तत्कालीन वित्तमंत्री ने एक बुरा बजट पेश किया और मनुभाई ने हर्षद और उसके निवेशकों के शेयरों को गिराने की साजिश की। मनुभाई ने हर्षद के खिलाफ मार्केट में एक गलत अफवाह फैलाई कि उन्हें भारी नुकसान हो चुका है। पर इसकी सूचना पहले ही हर्षद को लग चुकी थी उसने 14 दिन पहले ही स्टोक एक्सचेंज में अपने सारे ड्यूज क्लीयर कर दिए ताकि सभी लोगों को पता चल जाए कि ग्रो मोर के पास फंड की कमी नहीं, और एक बार फिर हर्षद की प्रसिद्धि चारों ओर बढ़ गई। अब सभी लोग उसे BSE का बच्चन कहने लगे थे।
मनी मार्केट में प्रवेश
अब धीरे-धीरे हर्षद को यह रियलाइज होने लगा था कि कब तक खुद के पैसे से खेलकर रिश्क लेते रहो। मतलब यदि उसे BSE का बच्चन बने रहना है तो उसे और फंड की जरूरत पड़ेगी। इसके लिए उसने इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टिंग का सहारा लेना चाहा। उसने LIC और UIT को टारगेट किया। लेकिन इन दोनों के चेयरमैन ने हर्षद को फंड देने से मना कर दिया। इसके बाद हर्षद को मनी मार्केट के बारे में पता चलता है। जब उसे पता चलता है कि स्टॉक मार्केट से भी बड़ा अमाउंट मनी मार्केट में सर्कुलेट होता है, तो वह मनी मार्केट में जानें के लिए आतुर हो जाता हैं। वह मनी मार्केट के पैसों को स्टॉक मार्केट में लगाने की सोचता है। मनी मार्केट एक ऐसा मार्केट है जहां बांड और सेक्योरिटीज का लेनदेन होता है।
मनी मार्केट में भी हर्षद को एक ब्रोकर के तौर पर काफी सफलता मिलती हैं। लेकिन यहां हर्षद गलत तरीके से मनी मार्केट के पैसों को स्टॉक मार्केट मैनिपुलेशन के लिए यूज करता है। अब हर्षद को कोई नहीं रोक सकता था क्योंकि उसके पास अब पैसों की कोई कमी नहीं थी उसके पास पैसों का पहाड़ था।
हर्षद मेहता पर्दाफाश
मनी मार्केट का पैसा यूज़ करके हर्षद बहुत पैसा कमा रहा था। लेकिन वर्ष 1992 में टाइम्स ऑफ इंडिया के पत्रकार सुचेता दलाल ने हर्षद मेहता के इस घोटाले का भंडाफोड़ कर दिया। 24 अप्रैल 1992 में प्रकाशित एक लेख में सुचेता दलाल ने बताया कि किस प्रकार हर्षद SBI के पैसों को गलत तरीके से यूज करके स्टॉक मार्केट मैनिपुलेशन कर रहा है। यह लेख प्रकाशित होने के बाद स्टॉक मार्केट क्रैश हो गया और जिन लोगों ने हर्षद के कहने पर निवेश किया था वे सभी बर्बाद हो गए।
Harshad Mehta Arrest
हर्षद मेहता पर 72 अपराधिक मामलों के साथ-साथ 6 हजार से अधिक दीवानी मामले दर्ज किए गए। लेकिन सबूत ना होने के कारण उन्हें केवल एक ही मामले में सजा हो पाई। वर्ष 2001 में उन्हें 5 साल की सजा के साथ ₹25000 का जुर्माना लगाया गया। RBI की जनाकीरामन समिति की रिपोर्ट के अनुसार हर्षद मेहता ने 4225 करोड रुपए का घोटाला किया था।
हर्षद मेहता की मृत्यु
अपने केस में दोषी पाए जाने के बाद हर्षद को 5 साल की जेल हो गई। इसके लिए उन्हें थाने जेल में रखा गया, यह कहा जाता है कि हर्षद की मृत्यु बहुत ही रहस्यमय ढंग से हुई थी। 31 दिसंबर 2001 की रात को अचानक हर्षद मेहता के सीने में दर्द उठा और थाने सिविल अस्पताल ले जाया गया जहां उनकी मृत्यु हो गई। इस समय हर्षद मात्र 47 वर्ष के थे।
क्या हर्षद मेहता निर्दोष था?
कोर्ट द्वारा हर्षद को 5 साल की सजा सुनाई गई थी। वहीं कुछ लोग हर्षद को निर्दोष मानते हैं। हर्षद मेहता की पत्नी द्वारा harsadmehta.in पर लिखे लेख में वह बताती हैं कि, सुचेता दलाल द्वारा अपने आर्टिकल में प्रकाशित किए गए सभी तथ्य झूठ है। क्योंकी हर्षद ने पहले ही SBI के पैसे वापस कर दिए थे।
Pic -harsadmehta.in
पत्नी ज्योति मेहता द्वारा हर्षद की बेगुनाही के और भी कई तथ्य पेश किए गए हैं जिन्हें आप harshadmehta.in पर विस्तार से पढ़ सकते हैं।
हर्षद मेहता फैमिली कहां हैं?
हर्षद की मौत के बाद उनके परिवार को कई और मुकदमे लड़ने पर। हर्षद पर 2.014 करोड़ के टैक्स बकाए का मुकदमा तकरीबन 27 साल तक उनकी पत्नी ने लड़ा और फरवरी 2009 में कोर्ट ने उन्हें राहत देते हुए इससे बरी कर दिया। हर्षद के भाई अश्विन मेहता ने वकालत की डिग्री ली है और उन्होंने हर्षित मेहता के कई केस लड़े तथा करीब 17सौ करोड़ रुपयों का भुगतान भी कराया। हर्षद मेहता का एक बेटा भी है जिसका नाम आतुर मेहता है। वह एक बिजनेसमैन है और वह लाइमलाइट में आना पसंद नहीं करता। यही कारण है कि उन्होंने आज तक किसी को भी इंटरव्यू नहीं दिया है।
हर्षद मेहता पर बनी फिल्में/ वेबसीरीज
हर्षद मेहता के इस घोटाले पर कई फिल्में आई जैसे Gafla (2006), The Bull Of Dalal Street, The Bull (2021). लेकिन इन सब में 2020 में OTT प्लेटफार्म सोनीलिव पर आई वेब सीरीज SCAM 1992 को दर्शकों के बीच काफी लोकप्रियता प्राप्त हुई। इस वेब सीरीज में हर्षद की पूरी कहानी दिखाई गई है।
SCAM 1992 Webseries
हर्षद मेहता से जुड़ी कुछ रोचक बातें
1. हर्षद द्वारा किया गया घोटाला भारतीय शेयर बाजार के इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला है।
2. हर्षद को क्रिकेट खेलना पसंद था वह बड़े होकर क्रिकेटर बनना चाहता था।
3. हर्षद ने अपना ग्रो मोर फर्म ऑफिस उसी जगह खोला था जहां पहले उसके पिताजी के कपड़ो का बिजनेस चलता था।
4. हर्षद एक गुजराती सेल्समैन था उसे खरीदने बेचने का काफी अनुभव था और यह अनुभव उसे स्टॉक मार्केट में काम आया।
5. हर्षद ने सेंसेक्स, यानी BSE के सूचकांक को 1000 से 4500 तक बढ़ा दिया था।
6. हर्षद मेहता को गाड़ियों का बहुत शौक था। उनके पास फैंसी कारों का एक बेड़ा था और वे टोयोटा लेक्सस कार में यात्रा करते थे जिसकी कीमत उस समय 40 लाख रुपए थी।
7. हर्षद ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया था कि उन्होंने उस मामले को खारिज करने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव को रिश्वत के रूप में 1 करोड़ रुपए का भुगतान करने का दावा किया। पर इसके कोई सबूत नहीं मिल पाए।
8. हर्षद मेहता की नेटवर्क तकरीबन 3542 करोड़ रुपए थी।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल FAQs
1. हर्षद मेहता की मृत्यु कैसे हुई?
हर्षद मेहता की मृत्यु 2001 में अचानक हृदय गति रुकने से मृत्यु हो गई।
2. हर्षद मेहता ने कितने करोड़ का घोटाला किया था?
उस समय यह घोटाला करीब 4000 करोड़ रुपए का था।
3. हर्षद मेहता का बेटा क्या करता है?
हर्षद मेहता का बेटा आतुर मेहता एक बिजनेसमैन है।
Conclusion
दोस्तों हर्षद मेहता ने अपने दम पर फर्श से अर्श तक का सफर पूरा किया था। लेकिन वह कहते हैं ना कि गलत तरीके से कमाया हुआ पैसा ज्यादा दिन नहीं टिकता और यही बात हमें हर्षद मेहता के जीवन से पता चलती है। यदि आपको हमारे द्वारा दी गई यह जानकारी पसंद आई है तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करना ना भूलें। यदि इससे जुड़ा कोई भी सवाल है तो आप नीचे कमेंट करके पूछ सकते हैं तथा फाइनेंशियल मार्केट से जुड़ी ऐसी ही मजेदार जानकारीयां पाने के लिए हमारी इस वेबसाइट के साथ जुड़े रहे।