WHAT IS TECHNICAL ANALYSIS OF STOCKS IN HINDI || TRADINGVIEW INDIA.
टेक्निकल अॅनालिसिस (Technical Analysis):
पिछले कुछ सालों में टेक्निकल अॅनालिसिस (Technical Analysis) की लोकप्रियता बढ़ी है। ज्यादा से ज्यादा लोग ऐसा मानते है कि शेअर्स का भुतकाल का परफॉमर्स उसके भावी परफॉरमर्स का मजबुत निर्देश देता है।
टेक्निकल अॅनालिसिस (Technical Analysis) बाज़ार में घटने वाली घटनाओं के आधार पर अथवा शेअर्स के भुतकाल के भाव और वॉल्युम का विश्लेषण करके शेअर्स का मुल्य निश्चित करने की एक प्रकिया है।
टेक्निकल अॅनालिसिस (Technical Analysis) की मद्द से शेअर्स के अंतरिक भाव को ढूंढ़ने की कोशिश नहीं की जाती। उसके बदले टेक्निकल अॅनालिसिस (Technical Analysis) करने वाले शेअर्स के उतार चढ़ाव की पुरानी प्रक्रिया अर्थात स्टॉक के चार्ट पर दिए गए निर्देश से भाव का अंदाजा लगाते है।
चार्ट की सहायता से भूतकाल में मार्केट में कैसा चढ़ाव उतार हुआ था साथ ही मार्केट का माहौल कैसा रहा होगा इसका हमें पता चलता है। शेअर का भाव कब और कितने प्रमाण में बढ़नेवाला अथवा कम होनेवाला है और आखिर कितनी कम या ज्यादा कीमत पर स्थिर होनेवाला है यह सब हम ग्राफ से समझा सकते है।
कभी कभी चार्ट भी शेअर मार्केट का सही अंदाजा लगाने में असमर्थ होता है। परंतु अनेक चार्ट का अनुभव बताता है कि चार्ट ने मार्केट के चढ़ाव उतार का जो अंदाजा लगाया है वो ज्यादातर सही साबीत हुआ है।
सामान्यरूप से अनुभव बताता है कि चार्ट का अंदाजा सामान्य स्थिति में बराबर होता है पर अगर कभी सरकारी उद्देशों में कुछ बदलाव हुआ, कंपनी के परिणामों में बड़े उतार-चढ़ाव, दुनिया में कही युद्ध हुआ, भूकंप हुआ तो चार्ट का अंदाजा गलत हो सकता है। मगर उससे चार्ट का मुल्य कम नहीं होता। चार्ट शेअर मार्केट का मुख्य आधार है और आगे भी रहेगा।
चार्ट के प्रकार (Types of Charts)
लाईन चार्ट (Line Chart):
लाईन चार्ट (Line Chart) सबसे आसान प्रकार का चार्ट है। नीचे दी हुई आकृती में लाईन चार्ट (Line Chart) दिखाया गया है। लाईन चार्ट (Line Chart) में हर दिन का बंद भाव दिखाया जाता है मगर दिन के दरम्यान शेअर के भाव में हुई बढ़ोतरी या गिरावट और साथ ही पिछले दिन का बंद भाव दिखाया नहीं जाता है।

बार चार्ट (Bar Chart):
टेक्निकल अॅनालिसिस (Technical Analysis) में बार चार्ट बहुत प्रसिद्ध है। वह बाजू में दिखाया गया है। खड़ी लाईन का सबसे ऊपर का पाँईट उस दिन का सबसे ऊँचा भाव दिखाता है (Highest Price of the Day) और सबसे नीचे का पाँईट दिन का सबसे निचा भाव (Lowest Price of the Day) दिखाता है।
दिन के बंद भाव (Closing Price) को बाएं तरफ की आडी लाईन दिखाती है और दिन की शुरुआत के भाव (Opening Price) को दांए तरफ की आडी लाईन दिखाती है।
यह चार्ट दिन के ट्रेडिंग मुव्हमेन्ट को दिखाता है। लाईन चार्ट से बार चार्ट (Bar Chart) का हमें ज्यादा फायदा होता है क्योंकि वह एक ही दिन का उँचा । (High), नीचा (Low), खुला (Open) और बंद (Close) भाव दिखाता है।
बाजू में कई दिनों का बार चार्ट दिखाया गया है।
कैंडलस्टिक चार्ट (Candlestick Chart):
कॅन्डल स्टीक चार्ट (Candlestick Chart) का टेक्निकल अॅनालिसिस (Technical Analysis) में बहुत उपयोग होता है। दुनिया भर के ज्यादा से ज्यादा देश इस चार्ट का उपयोग करते है। इसका ज्यादा उपयोग जपान में किया जाता है। इसे जॅपनीस कॅन्डल स्टीक (Japanese candlestick) भी कहा जाता है।
इस में बार चार्ट की तरह खुला भाव (Open), बंद भाव (Close), दिन का सबसे निचला भाव (Lowest Price) और सबसे ऊंचा भाव (Highest Price) दर्शाया जाता है। यह चार्ट कई रंगों में होता है।
जिस दिन स्क्रीप्ट का भाव उसके पहलेवाले दिन के भाव से कम होता है तब वह चार्ट में काले अथवा लाल रंग में दर्शाया जाता है और अगर ऊँचे भाव में बंद हुआ तो सफेद अथवा हरे रंग में बदं होता है। कॅन्डल स्टीक चार्ट (Candlestick Chart) नीचे दर्शाया गया है।
सपोर्ट और रेजिस्टन्स (Support and Resistance)
सपोर्ट और रेजिस्टन्स (Support and Resistance) एक निर्णायक बिंदु है जिसकी मद्द से बाज़ार का झुकाव पहचान के हम ट्रेडिंग कर सकते है। सामान्य रूप से मार्केट यह शेअर्स की डिमांड और सप्लाय (demand and supply) पर आधारित होता है।
जब ज्यादा माल की बाज़ार में बिक्री होती है तब शेअर्स की कीमत कम होती है और मंदी का माहौल तैयार होता है। इसके विरूध्द शेअर्स की माँग बढ़ जाए तो उसके भाव बढ़ने लगते है और तेजी का माहौल तैयार होता है।
सपोर्ट (Support):
सपोर्ट (Support) याने जिस भी कम से कम भाव में हम अंदाजा लगा सकते है कि इससे और नीचे भाव नहीं जाएगा और फिर उस सपोर्ट (Support) के बिंदू से शेअर का भाव फिर से (बाऊन्स बॅक) बढ़ने लगता है और अगर भाव उस बिंदू के नीचे आया तो एकदम नीचे उतरता है।
रेजिस्टन्स (Resistance):
रेजिस्टन्स (Resistance) याने जिस अधिक से अधिक कीमत पर हम अंदाजा लगा सकते है कि इससे अधिक भाव बढ़ेगा नही। रेजिस्टन्स (Resistance) को हिंदी में प्रतिरोधक बिंदू कहते है। यह सपोर्ट के विरूद्ध है।
जब शेअर का भाव बढ़ता जाता है, तब निवेशक को लगता है कि अब प्रॉफिट बुक करना चाहिए तब शेअर की बहत बिक्री होती है और भाव नीचे आने लगता है।
अगर बाज़ार के नीचे गए भाव में स्थिरता आई तो उस भाव पर संपूर्ण खरीदी होती है और उस शेअर का भाव एकदम दौड़ने लगता है। जो नीचे दिए गए ग्राफ में देख सकते है।
ट्रेन्ड (Trend)
सेंसेक्स और निफ्टी की लिस्ट में मौजूद और अच्छे फंडामेंटल वाली कंपनी के शेअर्स का ट्रेन्ड (Trend) समझलेना बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। क्योंकि उस पर ही मार्केट का उतार-चढ़ाँव निर्भर होता है।
सरल भाषा में कहना हो तो ट्रेन्ड (Trend) याने शेअर की चाल कैसी होगी अप ट्रेन्ड (UpTrend), डाऊन ट्रेन्ड (DownTrend) या साईडवे ट्रेन्ड (Side Ways Trend)।
मुवींग अॅवरेज (Moving Average):
यह सबसे आसान और सीधा निर्देशक (इंडिकेटर) है। साधारण रूप से कुछ समय के शेअर्स की बदलती कीमत की ॲवरेज कीमत हमें मुवींग अॅवरेज चार्ट (Moving Average Chart) से मिलती है।
५० दिन की मुवींग अॅवरेज (Moving Average) देखने के लिए आप ५० दिन के क्लोजिंग प्राईज को जोड़कर उसे ५० से भाग दीजिए। शेअर्स की कीमते हमेशा बदलती रहती है इसलिए मुवींग अॅवरेज (Moving Average) भी बदलता रहता है।
हमारी राय के अनुसार निवेशक को मार्केट के दैनिक उतार चढ़ाँव पता होना चाहिए। उसके लिए निवेशक को दिर्घ समय के शेअर्स के दैनिक उतार चढ़ाँव को निकाल लेना जरूरी होता है।
ज्यादातर १५, २०, ३०, ४०, ५०, १०० और २०० दिनों का मुवींग अॅवरेज (Moving Average) उपयोग में लिया जाता है। हर दिन, हफ्ते या महिने को शेअर्स की बदलती कीमत के अवरेज को मुवींग अॅवरेज (Moving Average) कहते है।
नीचे की चाल (Downtrend):
शेअर्स के भाव दिन ब दिन नीचे जाते हो तो उसे डाऊन ट्रेन्ड (Down Trend) कहा जाता है।
उसमें शेअर्स का वॉल्युम (Volume) बहुत होता है। ज्यादातर निवेशक इस वक्त बिक्री करते है। यह हम नीचे के ग्राफ में देख सकते है और इसमें कई बार बहुत स्क्रिप्ट लोअर सर्किट में जाती है।
ऊपर की चाल (Uptrend):
शेअर्स के भाव दिन ब दिन ऊपर जाते हो तो उसे अप ट्रेन्ड (UpTrend) कहा जाता है।
उसमें शेअर्स का वॉल्युम (Volume) बहुत होता है और सभी लोग शेअर्स खरीदने के लिए भागदौड़ करते है। सभी को लगता है कि जल्दी से शेअर्स खरीदकर फायदा लिया जाए। इस से स्क्रिप्ट को ऊपर की सर्किट लगती है। अपट्रेन्ड (UpTrend) हम नीचे दिए ग्राफ में देख सकते है।
साईडवेज चाल (Side ways Trend):
इस चाल के दरम्यान निवेशक बहुत ज्यादा सुस्त होते है। शेअर्स के भाव में कम मुव्हमेन्ट देखने मिलती है और इंन्ट्राडे ट्रेडर्स को बहुत परेशानी होती है । ओर उनका ऐसे समय मार्केट से दूर रहना ही उचित होता है।
इसमें स्टॉक की चाल निश्चित नहीं होती है। वह थोड़ा ऊपर जाता है और । कुछ समय बाद फिर से नीचे आता है। दिनभर ऐसा ही चलते रहता है।
ऐसे समय पिछले दिन के बंद भाव आसपास ही अगले दिन का भाव बंद होता है। इस वक्त वॉल्युम (Volume) भी बहुत कम होता है और मार्केट में ज्यादातर कोई हिस्सा नहीं लेता। साईडवे ट्रेन्ड (Side Ways Trend) आप आगे दिए ग्राफ में देख सकते है।
व्हॉल्यूम (Volume)
निश्चित समय में जिस संख्या में शेअर्स का लेन-देन या अदला बदली होती है उसे शेअर्स का व्हॉल्यूम (Volume) कहा जाता है। टेक्निकल अॅनालिसिस (Technical Analysis) में व्हॉल्यूम (Volume) का विश्लेषण करना एक महत्वपूर्ण बात है।
शेअर्स में कितनी तिव्रता से खरीदी या बिक्री हो रही है इसका निश्चित निर्देश व्हॉल्यूम (Volume) से ही मिलता है।
अधिक व्हॉल्यूम (Volume) से बाज़ार बढ़ा तो बाज़ार की दिशा बदलने का निर्देश मिलता है। इस से पहले हर निवेशक और बाज़ार के खिलाड़ियों के मन में एक ही बात होती है कि भाव बढ़ते ही जाएगा।
नए ट्रेन्ड (Trend) की शुरूआत होने के बाद व्हॉल्यूम (Volume) बढ़ते ही जाता है ऐसा नज़र आता है। (उसमें खास करके ट्रेडिंग की एक निश्चित रेंज छोड़कर भाव आगे बढ़ता है)। बाज़ार में डर का माहौल हो तो पॅनिक सेलिंग के कारण व्हॉल्यूम (Volume) बढ़ा हुआ नज़र आता है।
व्हॉल्यूम (Volume) की मद्द से वर्तमान ट्रेन्ड की मजबूती की जानकारी मिलती है। अपट्रेन्ड (UpTrend) मजबूत हो तो भाव के साथ ही व्हॉल्यूम (Volume) भी लगातार बढ़ता है और जब भाव नीचे आता है तब व्हॉल्यूम (Volume) भी कम होता है।
उसी तरह से डाऊनट्रेन्ड (DownTrend) मजबूत हो तो जब भाव नीचे आता है तब व्हॉल्यूम (Volume) बढ़ता जाता है और जब भाव ऊपर जाता है तब व्हॉल्यूम (Volume) कम होता है।
।। धन्यवाद ।।
Important Links :-
Open Demat Account in Zerodha – https://zerodha.com/?c=NH6775
2 Comments
10 Reasons Why New Investors Lose Money In Stock Market In Hindi - Assetinvestock · November 20, 2020 at 9:21 pm
[…] आपने कंपनी का फंडामेंटल (Fundamental Analysis) और टेक्निकल अॅनालिसिस (Technical Analysis) को देखा तो आपको कौनसे शेअर खरीदे इसकी […]
निवेशकों के लिए सुरक्षा के उपाय - (Safeguards For Investors In Hindi) · July 10, 2021 at 9:53 pm
[…] Technical Analysis […]